वन विभाग ने जंगलों को अधिक सुलभ और आधुनिक बनाने के लिए हाई-टेक मुनारे बनाने की अनूठी पहल की शुरू

खैरागढ़ अब जंगलों की सीमाएं सिर्फ पहचान के लिए नहीं होंगी, बल्कि वहां खड़े मुनारे ही उस क्षेत्र की पूरी…

Mar 5, 2025 - 16:00
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वन विभाग ने जंगलों को अधिक सुलभ और आधुनिक बनाने के लिए हाई-टेक मुनारे बनाने की अनूठी पहल की शुरू

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खैरागढ़

अब जंगलों की सीमाएं सिर्फ पहचान के लिए नहीं होंगी, बल्कि वहां खड़े मुनारे ही उस क्षेत्र की पूरी जानकारी देंगे. वन विभाग ने जंगलों की पहचान और संरक्षण को अधिक सुलभ और आधुनिक बनाने के लिए हाई-टेक मुनारे बनाने की अनूठी पहल शुरू की है. परंपरागत पत्थरों के ढेर से बने मुनारों की जगह अब मजबूत और टिकाऊ मुनारे बनाए जाएंगे, जिन पर QR कोड लगाया जाएगा. यह QR कोड स्मार्टफोन से स्कैन करने पर उस वन क्षेत्र की पूरी जानकारी तुरंत उपलब्ध कराएगा.

पहले मुनारों पर सिर्फ सीमित जानकारी लिखी जा सकती थी, लेकिन अब QR कोड जोड़ने से वन क्षेत्र का पूरा ब्योरा दो पन्नों में डिजिटल रूप से उपलब्ध होगा. स्कैन करने पर वन क्षेत्र का नाम, सीमाएं, क्षेत्रफल, वन्यजीवों और वनस्पतियों की जानकारी, तथा अन्य महत्वपूर्ण तथ्य मोबाइल स्क्रीन पर दिखेंगे. इससे न केवल वन विभाग को अपनी कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि आम नागरिक भी जंगलों के बारे में अधिक जागरूक हो सकेंगे.

मजबूत संरचना और लंबी उम्र
इन नए मुनारों को पहले से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनाया गया है. इनके निर्माण में 6mm और 8mm के TMT सरिए और विशेष मिश्रण (1:3:6 रेशियो) का उपयोग किया गया है. इससे ये मुनारे 40 से 50 साल तक सुरक्षित रह सकते हैं और यदि सही देखभाल की जाए, तो इनकी उम्र 100 साल तक भी हो सकती है. पहले के मुनारे महज 3-4 साल में खराब हो जाते थे, जिससे बार-बार नए मुनारे लगाने की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब यह समस्या खत्म हो जाएगी. वन विभाग के डीएफओ आलोक तिवारी के अनुसार, यह डिजिटल मुनारा प्रणाली जंगलों की सुरक्षा और अवैध कटाई पर नजर रखने में भी मददगार होगी. डिजिटल जानकारी उपलब्ध होने से वन क्षेत्र की पहचान करना आसान होगा, जिससे अवैध अतिक्रमण, जंगल की कटाई और वन्यजीवों के लिए खतरे पर नजर रखना आसान हो जाएगा.

इस पहल से पर्यटकों, शोधकर्ताओं और स्थानीय लोगों को भी जंगलों की सटीक जानकारी आसानी से मिल सकेगी. इससे आम लोगों की जंगलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण को नया बल मिलेगा. वन विभाग की इस हाई-टेक पहल से जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण को नई दिशा मिलेगी, जिससे वन क्षेत्र की सीमाएं स्पष्ट होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.

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