पूर्व पुलिस महानिदेशक को 3 महीने की हुई जेल, कांग्रेस नेता पर हमले में 41 साल बाद फैसला

भुज गुजरात की एक अदालत ने राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कुलदीप शर्मा को  3 महीने की जेल की…

Feb 11, 2025 - 17:45
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पूर्व पुलिस महानिदेशक को 3 महीने की हुई जेल, कांग्रेस नेता पर हमले में 41 साल बाद फैसला

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भुज
गुजरात की एक अदालत ने राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कुलदीप शर्मा को  3 महीने की जेल की सजा सुनाई है। उन्हें 41 साल पहले कच्छ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रहते हुए कांग्रेस के एक नेता पर हमला करने और गलत तरीके से उन्हें बंधक बनाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। भुज के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बी.एम. प्रजापति की अदालत ने मामले में पूर्व पुलिस निरीक्षक गिरीश वासवदा को भी दोषी ठहराया और तीन महीने की जेल की सजा सुनाई।

शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आरएस गढ़वी ने कहा, “कुलदीप शर्मा और वासवदा दोनों को आज आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) के तहत दोषी ठहराया गया। अदालत ने उन्हें तीन महीने की कैद और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।” यह मामला 1984 का है, जब कांग्रेस नेता इब्राहिम मंधारा, जिन्हें इभाला सेठ के नाम से जाना जाता था पर एसपी ऑफिस में कुलदीप शर्मा और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों ने हमला किया था। इब्राहिम मंधारा का अब निधन हो चुका है।

शंकर जोशी नामक व्यक्ति द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, शहर में दर्ज एक मामले पर चर्चा के लिए कच्छ के नलिया शहर से शिकायतकर्ता इब्राहिम और स्थानीय विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल 6 मई, 1984 को भुज में एसपी कार्यालय में शर्मा से मिलने गया था। गढ़वी ने कहा कि वे नलिया में एक पुलिस अभियान के सिलसिले में (तत्कालीन) एसपी कुलदीप शर्मा से मिले और उनसे निर्दोष लोगों के बजाय अपराधियों को कार्रवाई करने का आग्रह किया। इस दौरान तीखी बहस के बाद कुलदीप शर्मा इब्राहिम को दूसरे कमरे में ले गए और अपने साथी अधिकारियों के साथ मिलकर उन पर हमला कर दिया।

भुज कोर्ट में दर्ज शिकायत में शंकर जोशी ने 1976 बैच के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी कुलदीप शर्मा, वासवदा और दो अन्य आरोपियों (जिनकी अब मृत्यु हो चुकी है) के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत कार्रवाई की मांग की।

इब्राहिम जिनकी 2020 में मृत्यु हो गई थी उनके बेटे इकबाल मंधारा ने फैसले के बाद भुज कोर्ट के बाहर मिठाई बांटी। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि न्याय में देरी न्याय से इनकार के समान है, लेकिन 40 साल बाद सच्चाई की जीत हुई है। मेरे पिता ने न्याय के लिए अथक संघर्ष किया और आज का फैसला जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

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