छिंदवाड़ा जिले के अपशिष्ट प्रबंधन की सृजनात्मक पहल को मिली देशव्यापी सराहना

भोपाल मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के क्रियान्वयन में अपशिष्ट प्रबंधन के अपनाई सर्वोत्तम सृजनात्मक पहल को…

Jan 31, 2025 - 22:15
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छिंदवाड़ा जिले के अपशिष्ट प्रबंधन की सृजनात्मक पहल को मिली देशव्यापी सराहना

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भोपाल
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के क्रियान्वयन में अपशिष्ट प्रबंधन के अपनाई सर्वोत्तम सृजनात्मक पहल को देशव्यापी सराहना मिली है। आज प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में इसका विशेष उल्लेख किया गया है।

छिंदवाड़ा जिले ने एसबीएम-जी चरण 2 के हिस्से के रूप में बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दी है। इसमें 784 ग्राम पंचायतों और ।,898 गांवों में अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी फ्रेमवर्क की स्थापना की गई है। इसमें 8,507 एनएडीईपी (जैविक खाद बनाने की विधि जो जैविक पदार्थों से उर्वरक बनाती है) खाद गड्ढे शामिल हैं। हालाँकि, सामुदायिक कूड़ेदानों के रूप में इन गड्ढों के अनुचित उपयोग के कारण जिले ने एक व्यापक स्वच्छता अभियान शुरू किया।

इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाना और सतत रहने वाली पद्धतियों को बढ़ावा देना था। सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम इस पहल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

व्यापक जनसंपर्क प्रयासों ने समुदाय के सदस्यों को खाद बनाने के लाभों के बारे में शिक्षित किया, जबकि लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने किसानों और हितधारकों को जैविक अवशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के जानकारी से लैस किया। इन प्रयासों ने एनएडीईपी गड्ढों में गाय के गोबर और जैविक कचरे का उचित उपयोग सुनिश्चित किया, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन आसान हुआ।

इस पहल में किसानों, पंचायत राज संस्थाओं के सदस्यों, स्वच्छाग्राहियों, स्व-सहायता समूहों और समुदाय के सदस्यों सहित लगभग 68,050 हितधारकों की सक्रिय भागीदारी रही, जिससे गांवों में अपशिष्ट अलग करने और इसके प्रबंधन में सुधार हुआ। प्रत्येक एनएडीईपी गड्ढे से प्रति चक्र 500 किलोग्राम खाद मिलने का अनुमान है। तीन खाद चक्रों के माध्यम से किसानों को सालाना 30 हजार रूपये की अनुमानित आय होगी। इस बदलाव से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होने, लागत कम होने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होने की उम्मीद है। इससे कृषि पद्धतियों को अपनाने में सहायता मिलेगी। भविष्य की योजनाओं में एनएडीईपी गड्ढों के निर्माण का विस्तार करना, उनका अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना और खाद के लिए बाजार कनेक्टिविटी स्थापित करना शामिल है।

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